MSW 4th Sem | Basics Of Communication Skills | 1

Table of Contents

(1) संप्रेषण से आप क्या समझते हैं?

संप्रेषण (Communication) से तात्पर्य है विचारों, भावनाओं, सूचनाओं और संदेशों का आदान-प्रदान। यह एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति या समूह अपने विचार, अनुभव, ज्ञान और भावनाओं को दूसरों तक पहुँचाता है और दूसरों की बातें समझता है। संप्रेषण के मुख्य रूप होते हैं:

1. **मौखिक संप्रेषण (Verbal Communication)**: इसमें बोले गए शब्दों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण: बातचीत, टेलीफोन पर चर्चा, भाषण।
   
2. **लिखित संप्रेषण (Written Communication)**: इसमें लिखित शब्दों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण: पत्र, ईमेल, रिपोर्ट।
   
3. **गैर-मौखिक संप्रेषण (Non-Verbal Communication)**: इसमें शारीरिक भाषा, हावभाव, चेहरे के भाव, दृष्टि संपर्क आदि का उपयोग किया जाता है।
   
4. **दृश्य संप्रेषण (Visual Communication)**: इसमें चित्र, ग्राफ, चार्ट, मानचित्र आदि का उपयोग किया जाता है।

संप्रेषण की प्रक्रिया में मुख्य तत्व होते हैं: प्रेषक (Sender), संदेश (Message), माध्यम (Medium), प्राप्तकर्ता (Receiver), और प्रतिपुष्टि (Feedback)। सफल संप्रेषण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि प्राप्तकर्ता प्रेषक के संदेश को सही ढंग से समझे।

(2) संप्रेषण प्रक्रिया में पुनर्निवेश (feedback) का महत्व


संप्रेषण प्रक्रिया में पुनर्निवेश (feedback) का महत्व बहुत अधिक होता है। यह प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं को सुधारने और प्रभावी बनाने में मदद करता है। यहाँ इसके कुछ मुख्य महत्व हैं:

1. **स्पष्टता और समझ**: पुनर्निवेश के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रेषित संदेश सही तरीके से समझा गया है या नहीं। यदि कोई भ्रम या गलतफहमी होती है, तो उसे तुरंत सुधारने का अवसर मिलता है।

2. **प्रदर्शन मूल्यांकन**: पुनर्निवेश प्रेषक को उनके संप्रेषण कौशल का मूल्यांकन करने में मदद करता है। इससे वे अपने संदेश देने के तरीके में सुधार कर सकते हैं।

3. **समस्याओं की पहचान**: पुनर्निवेश के माध्यम से प्रेषक को यह पता चल सकता है कि संप्रेषण प्रक्रिया में क्या गलत हुआ या कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न हुईं। इससे भविष्य में उन समस्याओं से बचा जा सकता है।

4. **मोटिवेशन और मनोबल**: सकारात्मक पुनर्निवेश प्राप्त करना प्रेरणा बढ़ाने और मनोबल बढ़ाने का काम करता है। इससे प्रेषक को यह महसूस होता है कि उनकी बातों को सुना और समझा गया है।

5. **संबंध निर्माण**: पुनर्निवेश से संप्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच बेहतर संबंध बनते हैं। यह विश्वास और समझ को बढ़ावा देता है।

6. **संवेदनशीलता और अनुकूलन**: पुनर्निवेश प्रेषक को प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रियाओं और भावनाओं के प्रति संवेदनशील बनाता है। इससे वे अपने संदेश को अधिक उपयुक्त और अनुकूलित कर सकते हैं।

संक्षेप में, पुनर्निवेश संप्रेषण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो इसे अधिक प्रभावी, स्पष्ट और सफल बनाता है।



(3) प्रतिपुष्टि


प्रतिपुष्टि का अर्थ प्रतिक्रिया होता है। यह वह प्रक्रिया है जिसमें किसी क्रिया, विचार, या जानकारी के उत्तर में प्रतिक्रिया दी जाती है। प्रतिपुष्टि अक्सर सुधार और विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि शिक्षक द्वारा छात्र के कार्य पर टिप्पणियाँ या उपभोक्ता द्वारा उत्पाद पर राय।

प्रतिपुष्टि की प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित की जा सकती है:

1. **प्राप्ति:** सबसे पहले, जिस क्रिया, जानकारी, या विचार पर प्रतिपुष्टि देनी है, उसे प्राप्त या अनुभव किया जाता है।

2. **विश्लेषण:** प्राप्त जानकारी या क्रिया का विश्लेषण किया जाता है ताकि उसकी सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को समझा जा सके।

3. **निर्णय:** विश्लेषण के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि किस प्रकार की प्रतिक्रिया देनी है। यह प्रतिक्रिया रचनात्मक, सकारात्मक, या सुधारात्मक हो सकती है।

4. **प्रस्तुति:** निर्णय के अनुसार, प्रतिक्रिया दी जाती है। इसे स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया जाता है ताकि प्राप्तकर्ता उसे आसानी से समझ सके।

5. **अनुसरण:** प्रतिपुष्टि देने के बाद, यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्राप्तकर्ता ने प्रतिक्रिया को समझा और उस पर आवश्यक कार्रवाई की। यह चरण फॉलो-अप या निगरानी के रूप में जाना जाता है।

यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि प्रतिपुष्टि प्रभावी और परिणाममूलक हो।

प्रतिपुष्टि देने की विभिन्न विधियां होती हैं, जिनका उपयोग विभिन्न संदर्भों और आवश्यकताओं के अनुसार किया जा सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख विधियां दी गई हैं:

1. **मौखिक प्रतिपुष्टि:**
   - बातचीत या बैठक के दौरान सीधे संवाद में दी जाने वाली प्रतिक्रिया।
   - इसका उपयोग त्वरित और अनौपचारिक सेटिंग्स में किया जाता है।

2. **लिखित प्रतिपुष्टि:**
   - ईमेल, रिपोर्ट, या नोट्स के माध्यम से दी जाने वाली प्रतिक्रिया।
   - इसका उपयोग अधिक औपचारिक और विस्तृत प्रतिक्रियाओं के लिए किया जाता है।

3. **360 डिग्री प्रतिपुष्टि:**
   - सहकर्मियों, अधीनस्थों, और वरिष्ठों सभी से प्रतिक्रिया प्राप्त की जाती है।
   - इसका उपयोग व्यापक और संतुलित दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

4. **समूह प्रतिपुष्टि:**
   - टीम मीटिंग्स या समूह चर्चा में दी जाने वाली प्रतिक्रिया।
   - इसका उपयोग टीम के विकास और सहयोग के लिए किया जाता है।

5. **स्वयं मूल्यांकन:**
   - व्यक्ति स्वयं अपने कार्यों का मूल्यांकन करता है और सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करता है।
   - इसका उपयोग आत्मनिर्भरता और आत्म-सुधार के लिए किया जाता है।

6. **प्रौद्योगिकी आधारित प्रतिपुष्टि:**
   - सॉफ़्टवेयर, ऑनलाइन फीडबैक फॉर्म, और अन्य डिजिटल माध्यमों के माध्यम से दी जाने वाली प्रतिक्रिया।
   - इसका उपयोग तेजी से और बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

7. **गोपनीय प्रतिपुष्टि:**
   - गुमनाम रूप से दी जाने वाली प्रतिक्रिया, जैसे सुझाव बक्से या गुमनाम सर्वेक्षण।
   - इसका उपयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहाँ लोगों को अपनी राय व्यक्त करने में असुविधा हो सकती है।

इन विधियों का चयन संगठनात्मक संस्कृति, संदर्भ, और उद्देश्यों के अनुसार किया जा सकता है।

प्रतिपुष्टि के मुख्य घटक निम्नलिखित होते हैं:

1. **स्पष्टता:**
   - प्रतिपुष्टि स्पष्ट और संक्षिप्त होनी चाहिए ताकि प्राप्तकर्ता आसानी से समझ सके कि क्या कहा जा रहा है।
   - उदाहरण: "आपकी रिपोर्ट बहुत अच्छी है, लेकिन कुछ आंकड़ों को और विस्तार से समझाया जा सकता है।"

2. **विशिष्टता:**
   - प्रतिक्रिया विशिष्ट और ठोस होनी चाहिए, सामान्य या अस्पष्ट नहीं।
   - उदाहरण: "आपकी समय प्रबंधन की क्षमता में सुधार की जरूरत है" के बजाय "आपने पिछले महीने की तीन महत्वपूर्ण बैठकें मिस कीं, जिससे परियोजना में देरी हुई।"

3. **समयबद्धता:**
   - प्रतिपुष्टि समय पर दी जानी चाहिए ताकि सुधार की संभावना अधिक हो।
   - उदाहरण: किसी घटना के तुरंत बाद दी गई प्रतिक्रिया अधिक प्रभावी होती है।

4. **संवेदनशीलता:**
   - प्रतिक्रिया देते समय प्राप्तकर्ता की भावनाओं और स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।
   - उदाहरण: आलोचनात्मक प्रतिक्रिया देते समय एक सकारात्मक पहलू का उल्लेख करना।

5. **निर्माणात्मकता:**
   - प्रतिपुष्टि रचनात्मक होनी चाहिए, जिससे प्राप्तकर्ता सुधार के लिए प्रेरित हो सके।
   - उदाहरण: "यह काम ठीक नहीं हुआ" के बजाय "अगली बार यदि आप यह तरीका अपनाएं तो और बेहतर होगा।"

6. **उद्देश्य:**
   - प्रतिपुष्टि उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए, व्यक्तिगत आलोचना से बचना चाहिए।
   - उदाहरण: "आपकी प्रस्तुति में सुधार की जरूरत है" के बजाय "आपकी स्लाइड्स में अधिक विजुअल्स होने चाहिए।"

7. **अनुसरण:**
   - प्रतिपुष्टि देने के बाद फॉलो-अप करना महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवश्यक सुधार किए गए हैं।
   - उदाहरण: "अगले सप्ताह हम फिर से मिलेंगे और देखेंगे कि क्या प्रगति हुई है।"

8. **सकारात्मकता:**
   - सकारात्मक पहलुओं को पहचानना और प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है ताकि प्राप्तकर्ता का आत्मविश्वास बना रहे।
   - उदाहरण: "आपकी मेहनत और समर्पण सराहनीय है।"

इन घटकों का समावेश प्रतिपुष्टि को अधिक प्रभावी और परिणामदायक बनाता है।

(4) स्वाट विश्लेषण क्या है 


स्वाट विश्लेषण (SWOT Analysis) एक प्रबंधन उपकरण है जिसका उपयोग किसी संगठन, परियोजना, या व्यक्तिगत क्षमता के आकलन के लिए किया जाता है। SWOT का मतलब है:

1. **Strengths (ताकत)**: वे विशेषताएँ जो किसी संगठन को प्रतिस्पर्धियों पर बढ़त देती हैं।
2. **Weaknesses (कमजोरियाँ)**: वे क्षेत्रों में जहाँ सुधार की आवश्यकता है या संगठन के लिए बाधाएँ हैं।
3. **Opportunities (अवसर)**: वे बाहरी कारक जो संगठन को लाभ प्रदान कर सकते हैं।
4. **Threats (खतरे)**: वे बाहरी कारक जो संगठन के लिए समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।

इस विश्लेषण का उपयोग करके, संगठन या व्यक्ति अपने रणनीतिक योजना को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और तदनुसार कदम उठा सकते हैं।








Post a Comment

Previous Post Next Post