Msw 2nd Sem 5th paper

सामाजिक अनुसंधान -
अर्थ - 
= सामाजिक अनुसंधान का अर्थ सामाजिक तथ्यों तथा सामाजिक घटनाओं के बारे में 
1. नवीन ज्ञान प्राप्त करना
2. नए नियमों और सिद्धांतों की खोज करना 
3. पुराने नियमों में बदलाव एवं सुधार करना
4. पारस्परिक संबंध एवं एक दूसरे पर प्रभाव ज्ञात करना

परिभाषा- व्हिटने के अनुसार सामाजिक अनुसंधान के अंतर्गत मानव समूह के संबंधों का अध्ययन होता है

सामाजिक अनुसंधान के महत्व
1. अज्ञानता की समाप्ति
2. नए विचारों का विकास
3. अंधविश्वास की समाप्ति
4. वैज्ञानिक अध्ययन
5. सामाजिक नियंत्रण
6. सामाजिक प्रगति
7. समाज कल्याण
8. समाज सुधारक
9. नवीन ज्ञान की प्राप्ति

सामाजिक अनुसंधान की विशेषता
1. सामाजिक तथ्य से संबंधित
2. नए तथ्यों की खोज
3. सामाजिक घटना से संबंधित
4. सामाजिक घटना अथवा सामाजिक तत्वों के बीच संबंध
5. सामाजिक घटना की जानकारी
6. सामाजिक घटना में उपयोग होने वाले नियमों की जानकारी

शोध अभिकल्प
शोध अभिकल्प का अर्थ- किसी भी शोध कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व उसके उद्देश्य प्राप्ति के लिए योजना तथा कार्य प्रणाली का निर्माण करना शोध अभिकल्प कहलाता है
इसमें निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं
1. समस्या का चयन
2. उपकल्पना का निर्माण
3. कार्य को निश्चित दिशा प्रदान करना
4. निर्णय लेना
5. पूर्वानुमान करना

शोध अभिकल्प की विशेषताएं
1. शोध अभिकल्प का निर्माण शोध कार्य प्रारंभ करने से पूर्व किया जाता है
2. शोध अभिकल्प तथा शोध कार्य में प्रत्यक्ष संबंध होता है
3. यह कार्य करने की पद्धति और कार्य के उद्देश्य दोनों को जोड़ता है
4. शोध कार्य की जटिल प्रकृति को सरल बनाता है तथा मानव श्रम की बचत करता है
5. शोध कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को सही दिशा प्रदान करता है
6. शोध कार्य में आने वाली समस्याओं के समाधान में सहायता करता है
7. पूर्वानुमान करके योजना का निर्माण करता है
8. उद्देश्य प्राप्ति में सहायक होता है

शोध अभिकल्प के प्रकार
शोध अभिकल्प के प्रमुख चार प्रकार हैं
1. अन्वेषणात्मक अभिकल्प - इस अभिकल्प में सामाजिक घटना के अंतर्निहित कारणों को ढूंढ निकालने संबंधित कार्य किए जाते हैं
2. वर्णनात्मक शोध अभिकल्प - इस अभिकल्प में सामाजिक घटनाओं की समस्याओं की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने संबंधित कार्य किए जाते हैं अथवा समस्या का पूर्ण रूप से वर्णन किया जाता है
3. निदानात्मक शोध अभिकल्प - इस अभिकल्प में समस्या के कारणों का पता लगाकर उसके निदान करने संबंधित कार्य किए जाते हैं
4. प्रयोगात्मक अभिकल्प - इस अभिकल्प में निरीक्षण एवं परीक्षण के द्वारा समस्या का व्यवस्थित अध्ययन करने संबंधित कार्य किए जाते हैं

वैयक्तिक अध्ययन - 
अर्थ -
1. व्यक्तिक अध्ययन एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत व्यक्ति, संगठन, घटना, समाज आदि की एक इकाई का व्यापक और पूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है
2. इसके अंतर्गत व्यक्ति के प्रत्येक व्यक्तिगत कारण का पूर्णतः अध्ययन किया जाता है
3. इसमें व्यक्ति अथवा संगठन के सामाजिक , आर्थिक राजनीतिक , धार्मिक , सांस्कृतिक आदि प्रत्येक पक्ष का सूक्ष्मता एवं बारीकी से से अध्ययन किया जाता है
4. 

व्यक्तिक अध्ययन की विशेषताएं
1. व्यक्तिगत अध्ययन के लिए चुनी गई किसी भी इकाई का संपूर्ण रूप से अध्ययन किया जाता है
2. इसमें गुणात्मक अध्ययन किया जाता है
3. चुनी गई इकाई के संपूर्ण पहलुओं का अध्ययन किया जाता है
4. चुनी गई इकाई का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाता है
5. चयनित इकाई को विभिन्न परिस्थितियों में प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में अध्ययन किया जाता है

व्यक्तिगत अध्ययन की प्रक्रिया- 
व्यक्तिगत अध्ययन की मुख्य प्रक्रिया निम्नलिखित है
1. समस्या की व्याख्या- 
जिस इकाई का अध्ययन करना है उस को प्रभावित करने वाली समस्याओं का अध्ययन करके उसका वर्णन तथा व्याख्या की जाती है
2. घटनाओं का क्रम - इसमें घटनाओं को क्रम अनुसार रखा जाता है अनुसार घटनाओं में क्या-क्या परिवर्तन हुए इसकी जानकारी प्राप्त की जाती है 
3. प्रमुख कारक - घटना को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का अध्ययन किया जाता है
4. विश्लेषण तथा निष्कर्ष - अध्ययन में प्राप्त सभी तथ्यों का विश्लेषण करना तथा अध्ययन का निष्कर्ष प्राप्त करना

आंकड़ों के चित्रित रूप ( चित्रों द्वारा सांख्यिकी ) -
1. आंकड़े अथवा संख्याएं नीरस तथा साधारण होती है जैसे-जैसे इनका आकार बढ़ता जाता है इनकी अस्पष्टता बढ़ती जाती है इनको अधिक रोचक तथा सरल बनाने के लिए चित्रों का प्रयोग किया जाता है
2. बड़ी तथा विशाल संख्याओं को समझना तथा अंकित करना कठिन होता है इसलिए चित्रों की सहायता से इस कठिनाई को दूर करने का प्रयास किया जाता है
3. जिस प्रकार एक विशाल देश की स्थिति एवं दृश्य को मानचित्र द्वारा आसानी से समझा जा सकता है उसी तरह जटिल संख्याओं के संपूर्ण अर्थ को चित्र द्वारा समझना आसान एवं सरल होता है


आंकड़ों के चित्र रूप का महत्व या उपयोगिता - 
1. आंकड़ों तथा तथ्यों को सरल बनाने में-
2. अधिक समय तक स्मरणीय
3. समय तथा श्रम की बचत
4. समझने में विशेष ज्ञान एवं शिक्षा की आवश्यकता नहीं
5. आकर्षक एवं प्रभावशाली
6. सूचना के साथ मनोरंजन
7. तुलना करने में सहायक
8. व्यापक उपयोगिता
9. आंकड़ों का संक्षिप्त रूप

सांख्यिकी -
आंकड़ों तथा संख्याओं को सांख्यिकी कहते हैं जिसके अंतर्गत संख्याओं को एकत्रित करना विश्लेषण करना तथा प्रस्तुत करना आदि कार्य किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए राष्ट्रीय आय जनसंख्या दुर्घटना आदि के आंकड़ों एकत्रित तथा प्रस्तुत करना।

सामाजिक अनुसंधान में सांख्यिकी का महत्व या उपयोगिता
1. अर्थशास्त्र में - राष्ट्र की आर्थिक स्थिति को मापने के लिए, राष्ट्रीय आय मूल्य आयात निर्यात आदि को मापने के लिए
2. राज्य के लिए- पिछले समय में राजा अपनी राज्य आए जनसंख्या सेना आदि के आंकड़ों के लिए इसका उपयोग करते थे इसी तरह आज के समय में राज्य का बजट तैयार करने में राज्य की आय नया कर लगाने में आदि कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है
3. मानव कल्याण में - सामाजिक सर्वेक्षण करके मानव की परेशानियों के बारे में गणना करके उनका हल निकालने में इसका उपयोग किया जाता है जैसे बेरोजगारी निर्धनता स्वास्थ्य आदि की गणना करना
4. राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में- राष्ट्र की आवश्यकता तथा समस्याओं की करना करके उनके आंकड़ों के अनुसार योजनाएं तैयार की जाती है
5. उद्योग धंधों के लिए - वस्तुओं का उत्पादन वस्तु के बारे में कई प्रकार के आंकड़ों को एकत्रित करने के बाद निर्धारित किया जाता है जैसे वस्तु की मांग वस्तु का मूल्य व्यक्ति की रूचि आदि
6. बीमा कंपनियों के लिए- दुर्घटनाओं के आंकड़ों को एकत्रित करके बीमा कंपनियां बीमा की दरें निर्धारित करती है
7. रेल विभाग के लिए - रेलवे लाइन का निर्माण क्षेत्र का पूर्ण रूप से सर्वेक्षण करके उसके आंकड़ों के अनुसार किया जाता है
8. राजनीतिक क्षेत्र में- सरकारी नीतियों का जनता पर क्या प्रभाव होता है तथा किसी भी विभाग का निरीक्षण करने के लिए आंकड़ों की आवश्यकता होती है


उपकल्पना- 
किसी भी कार्य अथवा अध्ययन को प्रारंभ करने से पूर्व उस कार्य की पूर्व कल्पना करना उपकल्पना कहलाता है। उपकल्पना को परिकल्पना, पूर्व विचार आदि नामों से भी जाना जाता है। वैज्ञानिक मान्यता है कि कोई भी कार्य या अध्ययन उपकल्पना से ही प्रारंभ होता है तथा इसका समापन भी उपकल्पना से ही होता है।
अध्ययन के विषय के चुनाव के बाद उस विषय पर उपकल्पना करना अत्यंत आवश्यक होता है। उपकल्पना के द्वारा ही हम उस कार्य में आने वाली समस्याओं तथा बदलाव के बारे में सही निर्णय ले सकते हैं।

उपकल्पना की विशेषता
1. स्पष्टता
2. सरलता
3. संक्षिप्तता
4. मार्गदर्शन में उपयोगी
5. मूल समस्या से संबंधित
6. विशिष्टता
7. पूर्व सिद्धांतों से संबंधित
8. सर्वेक्षण द्वारा जांच संभव

उपकल्पना के प्रकार 
उपकल्पना दो प्रकार की होती है
1. संवेगात्मक - जो उपकल्पना मन की भावनाओं तथा अनुभव के अनुसार की जाती है
2. विवेकात्मक - जो उपकल्पना विचारों तथा अध्ययन के द्वारा की जाती है



















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